संवाददाता: आचमन जैन
5 हजार महिलाओं से ठगी करने का मास्टमाइंड अरेस्ट
पटना में एक कंपनी से सीखा फ्राड करने का तरीका, कई राज्यों में कर चुका फ्राड, OLX में दिया कर्मचारियों का ऐड
यूपी, बिहार, राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ में महिलाओं से फ्राड करने वाले मास्टरमाइंड को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है। सहारनपुर में 10 हजार महिलाओं से ठगी कर फरार हो गया था। ठग 10वीं तक पढ़ा हुआ है। लेकिन ठगी का मैंनेजमेंट एमबीए के छात्र की तरह किया था। किसी भी दस्तावेज पर खुद का कोई सर्टिफिकेट नहीं लगाया। आरोपी के पास से 5.50 लाख रुपए बरामद हुए है। थाना सदर बाजार पुलिस ने ठग को अरेस्ट किया है।
फर्जी कंपनी बनाकर 10 हजार महिलाओं को ठगा
पुलिस लाइन सभागार में एसपी सिटी अभिमन्यु मांगलिक ने बताया कि थाना सदर बाजार पुलिस ने बिहार के जिला खगडिया थाना गोगरी के गाव छोटी चक के रहने वाले दीपक सिंह उर्फ कुमार शानू उर्फ कन्हैया पुत्र विजय कुमार का अरेस्ट किया है। ये वहीं दीपक सिंह है, जिसने दिल्ली रोड पर एक फर्जी कंपनी एशियन एंटरप्राइजेज बनाई थी। महिलाओं को रोजगार देने के लालच देकर 2400 रुपए प्रति महिला के हिसाब से लिए थे और एक किलो ऊन दी थी। इसने 10 हजार महिलाओं से ठगी की थी। पुलिस इससे पहले बिहार के रहने वाले आदर्श कुमार पुत्र विजय कुमार को जेल भेज चुकी है। जिसके खिलाफ शाइस्ता परवीन ने मुकदमा दर्ज कराया था।
कई राज्यों में फर्जी कंपनी खोलकर कर चुके ठगी
पुलिस के अनुसार, यूपी समेत बिहार, राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ में फर्जी कंपनी खोलकर महिलाओं से ठगी करता था। ठगी का मास्टरमाइंड दीपक सिंह ने 10वीं की परीक्षा एमएसआर सैनिक स्कूल से 2016 में पास की थी। उसके बाद पटना में एक कंपनी में कर्मचारी के तौर पर काम करने लगा। इस कंपनी में भी लोगों के साथ फ्राड किया जाता था। वहां से फ्राड करने का तरीका सीखा और नौकरी छोड़कर खुद की फर्जी कंपनी बनाई। लोगों से फ्राड करने लगा।
पूछताछ में ठगी के मास्टमाइंड दीपक सिंह ने बताया कि उसकी मां ब्लॉक प्रमुख रह चुकी है। पिता डाक विभाग में कर्मचारी है। 2017-18 में झारखंड के डोरांडा रांची में फ्राड किया था। 10 दिन तक रांची जेल में रहा। फिर बिहार के दरभंगा में फ्राड किया और 7 दिन दरभंगा जेल में रहा। उसके बाद राजस्थान के बीकानेर आया। 2022 में यहां भी इसी प्रकार फ्राड किया।
बीकानेर जेल में ढाई महीने रहा। उसके बाद छत्तीसगए़ के रायपुर में 2023 में एक फ्राड किया। यहां भी तीन माह तक रायपुर के सेंट्रल जेल में रहा। बीकानेर व रायपुर जेल में गलत नाम पते से गया था। क्योंकि आरोपी के पास दूसरों के नाम के आधार कार्ड मिले थे। जो आरोपी ने बनाए थे। पुलिस ने आधार में नाम और पता समझकर चालान कर दिया था।
रिक्शा चालक की आईडी पर लिया था सिम कार्ड
पूछताछ में आरोपी ने बताया कि 26 अप्रैल को वो सहारनपुर आया था। 27 अप्रैल को एक रिक्शा वाले को झांसे में लिया। उसकी आईडी पर एक सिम लिया। उसी सिम से लोगों को फोन करता था। फिर रेलवे स्टेशन पर मिले एक युवक से 4 सिम ओर खरीदवाए। दिल्ली में रहने वाले एक दोस्त को लेकर दिल्ली रोड पर दुकान किराए पर ली। एशियन एंटरप्राइजेज नाम से कंपनी का कार्यालय खोला। महिलाओं के लिए स्कीम चलाई। दोस्त को ही कंपनी का मालिक बताया और मकान मालिक से किरायेनाम का एग्रीमेंट कराया।
जॉब के लिए OLX पर दिए था ऐड
पुलिस को पूछताछ में बताया कि उसने कंपनी तो बना ली और ऑफिस भी खोल लिया था। अब कर्मचारियों की आवश्यकता थी। उसने OLX पर जॉब ऐड चलाया। 20 से 25 लोग ऑफिस में नौकरी दी। सेल्स हैड अंकित और कैशियर अली के अलावा 12 लोग लेबर के काम लिए रखे। दिल्ली से ऊन मंगवाई। महिलाओं को ऊन देकर छोटे-छोटे गोले बनाने के बदले रोजगार देने और पैसा देने लिए पंपलेट छपवाए।
2400 रुपए थी रजिस्ट्रेशन फीस
आरोपी एक महिला से 2400 रुपए रजिस्ट्रेशन के नाम पर लेता था। एक जुलाई 2024 को काम शुरू किया। नई महिलाओं को जोड़ने पर 400 रुपए कमीशन दिया जाता था। पैरामाउंट में 12 हजार रुपए किराए का मकान लिया। अपने बचपन के दोस्त आदर्श को अपनी फर्जी कंपनी में पार्टनर रखा। सीधी और अनपढ़ महिलाओं को टारगेट किया और लाखों कमाने के सपने दिखाए।
ऐप से बना लेता था आधार कार्ड
पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसके मोबाइल में एक ऐप है। जिसमें आधार कार्ड में करेक्शन कर अपलोड करता है और उसका इस्तेमाल करता है। अलग-अलग नाम से आधार कार्ड तैयार कर इस्तेमाल करता था। दुकान के लिए भी मकान मालिक को दोस्त का फर्जी आधार कार्ड दिया था। मकान मालिक को अनुराग नाम का फर्जी आधार कार्ड दिया था।
फर्जी दस्तावेज के आधार पर ही अंबाला रोड स्थित महाराष्ट्र बैंक में दीपक के नाम से बैंक अकाउंट खुलवाया था। पुलिस को आरोपी के पास से दीपक, रवि और अंजली नाम के आधार कार्ड बरामद हुए है। रवि और अंजली के आधार कार्ड फर्जी है।
ठगी के 2.50 लाख गोशाला में किए दान
ठग दीपक सिंह ने पूछताछ में बताया कि उसने अपने अकाउंट से अपने दोस्त आदर्श को लाखों रुपए दिए है। जबकि 2.50 लाख रुपए गाजियाबाद की गोशाल में दान दिए। बाकी पैसे कर्जदारों को दे दिए। एक पत्रकार को भी दो से ढाई लाख रुपए कई बार दिए। तथाकथित पत्रकार ने अन्य पत्रकारों को मैनेज करने की जिम्मेदारी ली थी। उस पत्रकार के कारण ही ठगी का कारोबार सही चला। उसने काफी सहयोग किया।