जैन महापर्व धूपदशमी पर विशेष, यह धूप आनंद में खेने से कर्मों को नहीं जलाएगी। निज में निज शक्ति ज्वाला जो राग द्वेष मिटाएगी।

Hamare Sapne

 ब्यूरो रिपोर्ट - राजेश कुमार जैन 



यह धूप आनंद में खेने से कर्मों को नहीं जलाएगी। निज में निज शक्ति ज्वाला जो राग द्वेष मिटाएगी।




सुगंध दशमी का अर्थ इन्हीं दो लाइनों में सार्थक हो जाता है। सहारनपुर के सभी 25 जैन मंदिरों में दस दिवसीय दशलक्षण महापर्व के छठें दिवस सुगंध दशमी विश्व शांति एवं प्राणी मात्र के कल्याण हेतु उत्तम संयम धर्म की पूजा-आराधना अपूर्व भक्ति भाव के साथ की गयी, प्रातः काल की स्वर्णिम बेला में इंद्र देव ने पूजा-अर्चना की अनुमोदना करते हुए वर्षा करके वातावरण को सुखद बना  दिया,श्रावक-श्राविकाएँ केसरिया परिधान किये देवलोक के इन्द्र-इन्द्राणी प्रतीत हो रहे थे,श्री1008 महावीर भगवान के अतिशयकारी जिनबिम्ब पर मस्तकाभिषेक किया गया। 



उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा भक्ति पूर्ण नृत्य भक्ति  से वातावरण को पूर्णतया धर्ममय बना दिया,सांगानेर से आये पं.अभिषेक शास्त्री द्वारा मंत्रोच्चार के मध्य अभिषेक शांतिधारा और मांगलिक पूजा पूर्ण करायी गयी। आज सुगंध दशमी को संयम पर्व के रूप में मनाते हुए श्रद्धालुओं ने मंदिरों में जाकर धूप को खेया। और कामना की की जिस तरह से इस अग्नि में धूप को हम खे रहे हैं इस प्रकार इस धूप की भांति हमारे मन के राग द्वेष कषाय भी आज इस धुंए की भांति उड़ जाए और हमारा मन निर्मल हो जाए और हम बड़े ही उत्साह और प्रसन्नता पूर्वक संयम धर्म का पालन करें किसी के भी प्रति कोई राग द्वेष किसी भी तरह का वैर कषाय भाव मन में ना आए केवल संयम इन सभी के स्थान पर हमारे मन में स्थापित हो जाए। आज नगर के ही नहीं पूरे जनपद के सभी जैन मंदिरों में श्रद्धालुओं का भक्ति भाव के साथ दर्शन कर धूप खेते हुए नजर आए।



जैनबाग स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर जी में सांगानेर से आए पंडित अभिषेक शास्त्री के साथ आज सुबह पूजन अभिषेक वी शांति धारा हुई जिसमें मनोज जैन पूर्व पार्षद प्रदीप जैन संदीप जैन अनुज जैन दीपक जैन प्रवीण जैन सौरभ जैन ने भी शांति धारा की और सर्व कल्याण की कामना की। श्वेत और पीतांबर वेस्टन में सिर पर मुकुट धारण किए इंद्र इंद्राणियों के वेष में मंदिर परिसर की में संगीत की लहरियो के मध्य मंत्रों के साथ पूजा-अर्चना और जलाभिषेक संपन्न हुआ इस दृश्य को देख सभी अभिभूतहुए। 



नगर के प्राचीन चौधरियान स्थित जिनालय में उत्तम संयम धर्म पर बोलते हुए जैन समाज के लोकप्रिय अध्यक्ष राजेश कुमार जैन ने बताया कि चारों गतियों और चौरासी लाख पर्यायों में मात्र मनुष्य भव में ही संयम संभव है,नरक गति,तिंर्यच गति और यहां तक की देवगति में भी जीव संयम धारण नहीं कर सकते,दुर्लभ मानव पर्याय की सार्थकता तभी हो सकती है,यदि हम चिता पर लेटने से पूर्व अपनी चेतना जागृत कर ले और संयम धारण कर लें,उत्तम संयम तो मात्र मुनिराज और आर्यिका माताए ही पालती हैं,लेकिन श्रावक-श्राविकाएँ भी अणुव्रत ग्रहण कर घर परिवार में रहते हुए संयम धारण कर सकते हैं,अल्प आरंभ,अल्प परिग्रह,सीमित आवश्यकताए,न्यूनतम संकल्प विकल्प जीवन को सुखमय बनाने की विधि है,यही सतत सम्यक आचरण परम पद मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है;पुण्योदय से हमारे पास समस्त अनुकूलताएं हैं,निरोगी काया,स्वस्थ इद्रियाँ उत्तम कुल,देश,धन वैभव की प्रचुरता,देव दर्शन की सहज उपलब्धता,गुरुओं का पावन सानिध्य, जिनेंद्र प्रभु की वाणी जिनवाणी के रुप में हैं ; समस्त अनुकूलताओं के होने के उपरांत भी यदि हम संयम ग्रहण नहीं करते तो यह मनुष्य भव निष्फल है।अपराह्न में नगर के सभी मंदिरों में श्रावक-श्राविकाओं द्वारा विशुद्धि के भावों से भरकर धूप दशमी के पावन अवसर पर देव दर्शन कर अपने अशुभ कर्मों के क्षय के लिए सुगंधित धूप विसर्जित की गयी, इस क्रम में राजेश जैन ने कहा कि जैसे पूर्व जन्मो के अनन्त कर्मों के क्षय के लिए हम धूप विसर्जित कर रहे हैं,उसी प्रकार राग- देष,नफरत,वैमनस्य घृणा के भावों को छोड़कर एक दूसरे के प्रति प्रेम,स्नेह, आदर सम्मान की भावना से युक्त होकर धार्मिक कार्यों में अपनी सहभागिता बढ़ाते रहें।



चंद्रनगर,आवास विकास, चौधरियाॅन,बड़तला यादगार,महावीर कॉलोनी,मदनपुरी संगियान,शौरमियान,जानकी धाम,पैरामाउंट कॉलोनी,भरत विहार,राघवपुरम कॉलोनी,भगवती विहार, लॉर्ड महावीरा एकेडमी स्थित सभी जिनालयो में उत्तम संयम धर्म की मन वचन काय की विशुद्धि से आराधना की गयी।



चंद्र नगर मंदिर में उपमंत्री अविनाश नाटी ने बताया कि संयम जब सम्यग्दर्शन के साथ होता है,तभी उत्तम संयम धर्म होता है,पंचेन्द्रिय और मन के विषयों से आसक्ति घटाना,जीवों की रक्षा करना संयम है,संयम के लिए शुभ प्रवृति आवश्यक हैं।बड़तला यादगार मंदिर में समाज के महामंत्री सजीव जैन ने बताया सामाजिक-धार्मिक मर्यादाओं का मनोयोग पूर्वक पालन करते हुए,मर्यादित और संयमित आचरण में रहना ही संयम धर्म है।

संगियान मंदिर में चौधरी अजीत जैन और शौरमियान मंदिर में चौधरी शैलेंद्र जैन ने संयम धर्म के पालन के लिए सूर्यास्त से पूर्व भोजन,बाजार में बनी अशुद्ध-अभक्ष सामग्री के भोजन के निषेध,छने हुए जल से निर्मित सामग्री को ही ग्रहण करने और प्रतिदिन देव दर्शन पर प्रेरित करते हुए कहा कि जो श्रावक जैनत्व के मूल संस्कारों को ग्रहण करता है वही संयम धर्म पाल सकता है।




जैन बाग मंदिर में चौधरी अनुज जैन और सुखमाल जैन शास्त्री ने बताया कि पंच इन्द्रियों के विषयों पर नियंत्रण रखना,षट्काय के जीवों की रक्षा करना संयम धर्म है, अभक्ष्य-भक्षण,रात्रि-भोजन ,सौन्दर्य सामग्री आदि के लिये हम जीवों की हिंसा करते हैं,हम इन इच्छाओं पर नियंत्रण करके जीव-दया का पालन कर संयम का पालन कर सकते हैं,संयम के पालन से ही सम्यकदर्शन पुष्ट होता है,संयम ही मोक्ष का मार्ग है,हम जितना अपने संकल्पों विकल्पों को नियंत्रित करते है,उतना ही हम सुखी रहते हैं,हमें यह भावना भानी चाहिए कि संयम के बिना हमारे जीवन का एक पल भी व्यतीत न हो,संयम इस भव में ही नहीं पर भव में भी एक मात्र शरण है,हमारा जीवन संयम और कल्याण मार्ग में प्रवृत हो।


जैन बाग स्थित जैन मंदिर जी में रात्रि में बच्चों द्वारा बड़ा ही सुंदर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया बच्चों ने एक से बढ़कर एक जहां नृत्य प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। तो वही दशलक्षण धर्म में नियम और व्रत त्याग के महत्व को बड़े ही सुंदर तरीके से बच्चों ने नृत्य नाटिका के माध्यम सेदर्शाया। 

धार्मिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में एक जोड़ी प्रोग्राम किया गया जिसमें प्रथम पुरस्कार आरती जैन पारुल जैन मिनी जैन आदित्य जैन और बच्चों मे प्रथम पुरस्कार मिशी जैन को मिला। 


मांगलिक कार्यक्रम में समाज के श्रेष्ठीगण डॉ जे.डी जैन,डॉ डी.पी. जैन,डॉ.अर्चना जैन,चौधरी डॉ.ए.के. जैन,सीए अनिल जैन,डॉ शोभा जैन,कोषाध्यक्ष अरुण जैन,उप चौ.संदीप जैन,अजय जैन,नितिन जैन,पंकज जैन,दीपक जैन,मुकेश जैन,राजा जैन,विनय जैन,सुरेंद्र जैन,विपिन जैन,राजीव जैन,नीरज जैन,राजपाल जैन,संजय जैन,पुष्पेंद्र जैन, मोहित जैन,मनीष जैन,मनोज जैैन,प्रदीप जैन,संयम जैन सहित सैकड़ो श्रावक श्राविकाएँ उपस्थित थे।

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