ब्यूरो रिपोर्ट - शमीम अहमद
56 साल बाद जब बर्फ से निकाला गया शव, गांव वाले देख रह गए हेरान, 56 साल बाद क्यु किया गया अंतिम संस्कार।
56 साल बाद मिला सैनिक मलखान सिंह का शव पहुंचा उनके गांव, मलखान सिंह का हुआ राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार, सेना के जवानों के साथ राजनीतिक दलों ने दी अंतिम विदाई और सलामी, 1968 को एयरफोर्स का प्लेन हो गया था क्रेश, लगातार चल रहा था रेस्क्यू ऑपरेशन।
56 साल बाद मलखान सिंह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव फतेहपुर में किया गया सेना के जवानों के साथ-साथ राजनीतिक दलों के लोगों ने भी शहीद मलखान सिंह को श्रद्धांजलि दी है, राजकिय के सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार उनके गांव में किया गया है, मुख्य अग्नि के दौरान हजारों की तादाद में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, जय जवान के नारों से पूरा गांव गूंज उठा।
आपको बता दें सहारनपुर से 30 किलोमीटर दूर फतेहपुर गांव है जहां के रहने मलखान सिंह के साथ 102 सैनिकों ने 7 फरवरी1968 में AN-12 विमान ने चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन वह विमान वादियों में लापता हो गया था। जिसमे 102 यात्री गायब हो थे। तभी से सैना के जवानों के द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था, जिसमे कड़ी मेहनत और मशक्कत के बाद अब 4 शव रेस्क्यू किए गए हैं।जिसमें से सहारनपुर के रहने वाले मलखान सिंह का शव भी बरामद किया गया है,मलखान सिंह की पहचान उनके बैच नंबर से की हुई है।
7 फरवरी 1968 को AN-12 विमान ने चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन कुछ देर बाद ही वो लापता हो गया था। भारतीय वायुसेना का ये विमान रोहतांग के पास में हादसे का शिकार हुआ था। प्लेन में 102 लोग सवार थे। जिसका कुछ मलबा साल 2003 में मिला था। अब सेना ने हिमाचल प्रदेश में दुर्घटनास्थल से चार शव बरामद किए हैं जिनमें से एक शव है वायु सेना के जवान मल्खान सिंह का है जो 56 साल बाद अपने घर वापस लौटा है। दशकों तक पीड़ितों के शव और अवशेष बर्फीले इलाके में पड़े रहे थे इस रेस्क्यू ऑपरेशन को देश का सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन कहा जा रहा है। मलखान सिंह के परिवार में उनके दो पोते और दो पोती हैं और बेटे की विधवा बहू है। लेकिन उनकी राह तकने वाली माता-पिता की आखें तो बेटे के दीदार के पहले ही बंद हो गई है।
नानौता के गांव फतेहपुर निवासी वायु सैना में तैनात जवान मल्खान सिंह देश की रक्षा करते हुए 7 फरवरी 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग पास में शहीद हो गए थे। अटल सरकार के कार्यकाल से 2003 में सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और 2019 तक 5 शव बरामद किए। अभी हाल ही में कुछ समय पहले सेना को 4 शव और मिले तो एक फौजी की पहचान नानौता थाने के ग्राम फतेहपुर निवासी मलखान सिंह के रूप में होना बताई गई। मल्खान सिंह शादीशुदा थे और उनके एक बेटा रामप्रसाद था जिसकी मौत हो चुकी है। उनके पोते गौतम और मनीष मजदूरी करते हैं। सोमवार को जब यह खबर सेना के सूत्रों से परिवार के लोगों और ग्रामीणों को मिली तो पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया। साथ ही इस बात का संतोष भी हुआ की जिस मल्खान सिंह के शव को ढूंढने में 56 साल लग गए आखिरकार उनके शव को ढूंढ लिया गया और अब परिजन पितृपक्ष में अपने पितृ को सच्ची मुक्ति दे पाएंगे।उनके छोटे भाई ईसम पाल ने जानकारी देते हुए बताया कि परिजन ही मल्खान सिंह का अंतिम संस्कार करेगें।जिस पल परिवार को मल्खान के पार्थिव शरीर की घर वापसी की जानकारी मिली तो हर कोई स्तब्ध रह गया। वो बच्चे जो अपने दादा-परदादा की कहानी सुनकर बड़े हुए उन्हें अब उनके दर्शन करने और आखिरी सफर में शामिल होने का मौका मिला है।
घर में बचे पोतेबचपन में अपनी मां और पिता से दादा के जहाज के कहीं गुम हो जाने की कहानी सुनने वाले मल्खान सिंह के बड़े पोते बताते हैं की उनकी मां इंद्रो देवी और पिता राम प्रसाद अक्सर उन्हें दादा मल्खान सिंह के जहाज के अचानक आसमान और बर्फीली पहाड़ियों में गुम हो जाने की कहानियां सुनाया करते थे।
गौतम और मनीष अक्सर यही सोचते थे की उनके दादा मल्खान सिंह एक ना एक दिन वापिस जरूर आएंगे। गौतम के माता-पिता भी पिता की खोज खबर का इंतजार करते-करते दुनिया से चल बसे. मां-बाप के जाने के बाद गौतम और मनीष भी शहर में आकर बस गए। मल्खान सिंह के लापता होने के बाद परिवार को कोई मदद नहीं मिली, जिसके बाद मलखान के दोनों पोते शहर आ गए और मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करने लगे।