बारहवीं बरसी पर याद किये मशहूर पत्रकार व बुद्धिजीवी जावेद हबीब।

Hamare Sapne

संवाददाता - जावेद खान 


बारहवीं बरसी पर याद किये  मशहूर पत्रकार व बुद्धिजीवी जावेद हबीब।



बुलंदशहर। हुजूम अख़बार के संपादक रहे जावेद हबीब को उनकी बारहवीं बरसी पर याद किया गया। शुक्रवार शाम  बुलंदशहर स्थित क़ासिमिया अरेबिया में आल इंडिया मुस्लिम यूथ कन्वेंशन के बैनर तले कार्यकम का आयोजन किया गया । बता दें कि आल इंडिया मुस्लिम यूथ कन्वेंशन के  रचयिता, मशहूर पत्रकार , समाजसेवी व बाबरी मस्जिद एक्शन कमैटी में अपनी मुख्य भूमिका निभाने वाले जावेद हबीब की बारहवीं बरसी पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर उन्हें याद किया गया । कार्यकम की अध्यक्षता नेशनल सोशल ऑर्गेनाइज़ेशन के जिलाध्यक्ष चौधरी खुर्शीद राही ने की कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  क़ौमी डगर समाचार पत्र के संपादक पत्रकार अब्दुल अली व विशिष्ट अतिथ  कांग्रेस नेता शकील अहमद रहे। कार्यक्रम का आरंभ जामिया फरूकिया के सदर क़ारी ताल्हा क़ासमी की तिलावत ए कलाम से हुआ। कार्यक्रम के कन्वीनर मशहूर शायर डॉ इरशाद अहमद शरर  ने मंच का संचालन किया। मेजर डॉ फ़ाज़िल ने लेखक मासूम मुरादाबादी द्वारा जावेद हबीब पर लिखी गई  किताब  'हुजूम से तन्हाई तक' के कुछ अंश पड़कर उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला।  इस दौरान कई वक्ताओं उनकी जीवन कथा पर अपनी अपनी राय दी।  मुख्य अतिथि अब्दुल अली ने कहा कि आज के युवाओं में जावेद हबीब जैसी खुद्दारी होनी चाहिए इस दौरान वह बात करते हुए कई बार भावुक हो गए। विशिष्ट अतिथि  ने उनकी सादगी भरे जीवन पर अपनी बात कही और   कहा की देश में  मौजूदा   हालातों पर सरकार से मुसलमानो के प्रति अपनी बात रखने के लिए जावेद हबीब जैसे इंसान की आवश्यकता है।

आल इंडिया मिल्ली काउंसिल के   बुलंदशहर जिलाध्यक्ष क़ारी अब्दुल रहमान काशफी ने कहा कि कौम के रहनुमाओं को जावेद हबीब की सियासी नीतियों को अपनाते हुए उसपर अमल करना चाहिए। क़ासिमिया अरेबिया के मैनेजर व समाजसेवी हाजी नूर मोहम्मद क़ुरैशी ने कहा की देश के तीन तत्कालीन  प्रधानमंत्रीयों से जावेद हबीब के घरेलू सम्बंध रहे हैं लेकिन उन्होंने कभी अपनी कौम का सौदा नही किया और न ही अपने निजी जीवन मे उनसे कोई लाभ लिया। डॉ ज़हीर अहमद ने कहा अगर आज जावेद हबीब होते तो भारत के  मुसलमानो की एक बड़ी और मजबूत आवाज़  होते।  'कुछ लोग छुप जाते हैं और कुछ लोग छप जाते हैं' पत्रकार सुहैब खान ने  जावेद हबीब का यह वाक्य कहते हुए उनके सादगी भरे अंदाज़  क़लम व ज़बान की तूफानी  ताक़त की घटनाओं का ज़िक्र किया।  पत्रकार मक़सूद जालिब ने  जावेद हबीब के जीवन व (एएमयू) तहरीक पर ज़िक्र किया।


कार्यक्रम अंत मे क़ारी तलाह क़ासमी ने उनके लिए दुआ ए मग़फ़िरत की इस दौरान दिलनवाज़, सरदार अंसारी, नईम मंसूरी, अफ़ज़ाल बर्नी, यलिश, यूनुस,  डॉ हसरत चौहान, आरिफ सैफी, शाहनवाज़ मूसा, ख़ुलूद कौसर, चाहत हुसैन, कौसर रिज़वी, सय्यद अख़्तर आदि लोग उपस्थित रहे।

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