ब्यूरो रिपोर्ट - शमीम अहमद
मिट्टी के दीए बनाने वाले लोगों पर मंडराया रोजी-रोटी का संकट, बाजार में चाइनीज़ दिए मोमबत्ती आने से नहीं खरीद पाता कोई मिट्टी के दिए।
बुराई पर अच्छाई की जीत दीपावली के पावन पर्व पर वैसे तो बाजार पूरी तरीके से सज चुके हैं और वही दीपावली के पावन पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह और उमंग देखने को मिल रही है, उपभोक्ता दीपावली के पावन पर्व को लेकर बाजारों में काफी अच्छी शॉपिंग करते भी नजर आ रहे हैं क्योंकि दीपावली के पर्व पर घरों को सजाने के लिए उपभोक्ताओं के द्वारा चाइनीज़ लाइटों का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
जिसका सीधा-सीधा असर मिट्टी के दीए बनाने वाले कुम्हार पर देखने को मिल रहा है, सहारनपुर में मिट्टी के दीए बनाने वाले लोगों का कहना है कि पहले मिट्टी के दिए बनकर काफी अच्छा बिजनेस हो जाता था जिससे उनकी रोजी-रोटी चल पाती थी लेकिन जब से बाजार में चीनी आइटम दिए मोमबत्ती वगैरा आए हैं तब से मिट्टी के दीए की डिमांड बाजार में बहुत ही काम हो गई है पहले वह बिना आर्डर के भी ढाई तीन लाख दिए बनाकर बाजार में भेज देते थे लेकिन अब सिर्फ ऑर्डर के बाद ही वह लोग मिट्टी के दीए बनाते हैं और ऑर्डर भी कोई खास उनको नहीं मिल पाते हैं ऑर्डर के तहत भी सिर्फ लाख 50 हजार दिए ही वह लोग बना पाते हैं। सीधा-सीधा अगर कहा जाए तो कहीं ना कहीं बाजार में आई चीनी आइटमों से मिट्टी के दीए बनाने वालों पर संकट मंडराता नजर आ रहा है और मिट्टी के दीयों का चालान भी अब बहुत कम होता जा रहा है मिट्टी के दीए बनाने वाले लोगों का कहना है कि चाइनीस आइटम छोड़कर लोगों को मिट्टी के दिए खरीदने चाहिए जिससे मिट्टी के दीए बनाने वाले लोगों का भी रोजगार चल सके।