सिद्ध पीठ मां शाकंभरी देवी का प्रकटोत्सव धूमधाम से मनाया..... मां भगवती को अर्पित किए गए 56 भोग।

Hamare Sapne

संवाददाता - शेख परवेज आलम 




सिद्ध पीठ मां शाकंभरी देवी का प्रकटोत्सव धूमधाम से मनाया..... मां भगवती को अर्पित किए गए 56 भोग। 



शिवालिक पहाड़ियों के बीच स्थित सिद्ध पीठ मां शाकंभरी देवी का जन्म जयंती समारोह हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान रविवार को पूर्व संध्या पर विशाल भगवती जागरण का आयोजन हुआ और सोमवार को शतचंडी महायज्ञ को पूर्ण आहुति देने के साथ ही मां भगवती को छप्पन भोग अर्पित किए गए। मां भगवती के प्रकटोत्सव पर हजारों श्रद्धालु मां के दरबार में पहुंचे और शीश नवाते हुए प्रसाद चढ़ाकर मन्नते मांगी। इस दौरान पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजामात किए गए। 



दरअसल, जनपद सहारनपुर मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर तहसील बेहट इलाके की शिवालिक पहाड़ियों में सिद्ध पीठ मां शाकंभरी देवी का मंदिर है। मान्यता है कि पौष मास को पूर्णिमा तिथि को मां दुर्गा ने मानव कल्याण के लिए शाकंभरी रूप लेकर शाक, फल और वनस्पतियों को प्रकट किया था। मां शाकंभरी को देवी दुर्गा के ही रूप में माना जाता है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार दानवों के उत्पात से त्रस्त भक्तों ने कई वर्षों तक सूखा एवं अकाल से ग्रस्त होकर देवी दुर्गा से प्रार्थना की, जिसके बाद मां दुर्गा इस अवतार में प्रकट हुई। अपने भक्तों को इस हाल में देखकर देवी की इन हजारों आंखों से नौ दिनों तक लगातार आंसुओं की बारिश हुई, जिससे पूरी पृथ्वी पर हरियाली छा गई। यही देवी शताक्षी के नाम से भी प्रसिद्ध हुई एवं इन्हीं देवी ने कृपा करके अपने अंगों से कई प्रकार की शाक, फल एवं वनस्पतियों को प्रकट किया। इसलिए उनका नाम शाकंभरी प्रसिद्ध हुआ। पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकंभरी नवरात्र का आरंभ होता है, जो पौष पूर्णिमा पर समाप्त होता है। इस दिन शाकंभरी जयंती का पर्व मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन असहायों को अन्न, शाक (कच्ची सब्जी), फल व जल का दान करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती हैं व देवी दुर्गा प्रसन्न होती है।



मां शाकंभरी जन्म जयंती समारोह को लेकर 7 जनवरी से कार्यक्रम शुरू हो गए थे।  शंकराचार्य आश्रम एवं सत्संग भवन में 12 जनवरी की रात मां की महिमा का गुणगान (जागरण) और मां के भवन का शाक सब्जी एवं फूलों से श्रृंगार किया गया था। सोमवार को जन्म जयंती समारोह के दिन वेस्ट यूपी के अलग अलग जनपदों के अलावा हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, बिहार सहित विभिन्न राज्यों से हजारों श्रद्धालु सिद्धपीठ मां शाकंभरी देवी दर्शनों को पहुंचे। शंकराचार्य आश्रम से श्रद्धालुओ ने भैरव तंत्राचार्य सहजानंद जी महाराज की अगुवाई में शतचंडी महायज्ञ में पूर्ण आहुति दी इसके बाद 56 भोग और 36 व्यंजन मां भगवती को अर्पित किए गए। मां के दरबार में आलू, शकरकंदी व शराल का विशेष प्रसाद श्रद्धालुओं को वितरित किए गए। मंदिर व्यवस्थापक आदित्य प्रताप राणा द्वारा श्रद्धालुओं के लिए पीने के पानी, सर्दी से बचने के लिए अलाव और ठहरने की व्यवस्थाएं की गई थी। 


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